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durgdas ji khichi

दुर्गदास जी खींची का 216 वां बलिदान दिवस

  • 2023-10-09
  • Mehrangarh Fort Jodhpur

ठाकुर दुर्गदास खींची का 216 वां बलिदान दिवस लाखनपोल, मेहरानगढ़ किले में मनाया गया।


उचियारड़ा ठाकुर दुर्गदास जी खींची अखेसिंहोत की 216 वीं बलिदान दिवस पर मेहरानगढ़ किले की प्रथम पोल के बाहर लाखनपोल के बाहर निर्मित छतरी को सुबह 9.15 बजे फूलों से सजाकर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किए गए। सबसे पहले छतरी के पास गणेश जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। तत्पश्चात वीर शिरोमणि ठाकुर दुर्गदास खींची जी को माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किए गए। उसके बाद जोजावर ठाकुर साहब की छतरी पर पुष्प अर्पित किए गए। तत्पश्चात वहां स्थित 11 वीर योद्धाओं की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किए गए। मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर सूर्यवीर सिंह राजवी, प्रोफ़ेसर डूंगरसिंह व् दलपत सिंह जी खींची, अर्जुनसिंह उचियारड़ा, केसरसिंह  उचियारड़ा , मालमसिंह उचियारड़ा , प्रोफ़ेसर क्षितिज महर्षि , मोहनसिंह इंद्रोका , छोटूसिंहजी इंद्रोका ,जब्बरसिंह खेजड़ली,  चंद्रवीर सिंह इंदा, भीखसिंह उचियारड़ा, सम्पतसिंह सरदार संवत ,शेराराम  प्रजापत एवं दौलाराम भील, भाकरराम देवासी सहित सैंकड़ों लोगो ने माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि कर वीर शिरोमणि ठाकुर दुर्गदास जी खींची के बलिदान दिवस पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। आशापूर्णा बिल्डकॉन के फाउंडर एवं चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर करणसिंह जी उचियारड़ा ने बताया कि उनके दादोसा ठाकुर दुर्गदास जी खींची नारवा महाराजा मानसिंह जी के समय जोधपुर किले के किलेदार थे,  किलेदार रहते हुए जोधपुर की फौज अहमदाबाद फतह के लिए गई हुई थी, पीछे से जयपुर की सेना ने जोधपुर पर आक्रमण किया, लगातार 3 दिनों तक अपने अन्य सेनिको के साथ तात्कालीन किले के किलेदार ने संघर्ष किया एवं जयपुर की फौज को हमले का मुँह तोड़ ज़बाब दिया एवं अपनी जीत दर्ज की। इसी आक्रमण में उनके दादोसा वीरगति को प्राप्त हुए। उनके अदम्य साहस एवं स्वामी भक्ति को देखते हुए महाराजा मानसिंह जी ने मेहरानगढ़ किले की प्रथम पोल के बाहर जिसे जयपोल कहते है, वहां भगवान गणेश जी की प्रतिमा के पास एक छतरी बनाई, एवं उनके पुत्र को ठाकुर की उपाधि देते हुए उचियारड़ा गांव इनायत किया। वे उन्ही की 8वीं संतान हैं।

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